खबर विशेष

Page 05 सोमवार 20 अप्रैल 2020


पृष्ठ 1 का शेष ऑनलाईन पढ़ाई के बहाने करने लगे वसूली...


अभिभावकों को निजी स्कूलों की तरफ से कोई राहत मिलती नहीं दिख रही है। अप्रैल का महीना शुरू होते ही बच्चों के पालकों के पास मोबाइल पर फीस भरने के मैसेज आने शुरू हो गए हैं।ज्यादातर निजी स्कूलों में 1 अप्रैल से नए सत्र की शुरुआत कर दी जाती है। इसके लिए आमतौर पर अप्रैल के प्रथम सप्ताह से अभिभावक फीस जमा करना शुरू कर देते हैं, लेकिन देश में चल रहे कोरोना संकट से सभी मुश्किल दौर से गुजर रहे हैं और हालात अभी ठीक नहीं है। इस संकट के समय लोगों के रोजगार खत्म हो गए हैं, इसके साथ ही अन्य आर्थिक समस्याओं से आमजन जूझ रहा है। हर साल जिला प्रशासन शैक्षणिक सत्र शुरू होते ही आदेश निकालता है कि कोई भी स्कूल या शैक्षणिक संस्थान स्कूली बच्चों को अपने कोर्स की किताबें व ड्रेस किसी विशेष जगह से खरीदने के लिए दबाव नहीं बनाएगा। शासन के आदेश उस कागज के फूल की तरह होते हैं जिनमें कभी खुशबू नहीं होती,क्योंकि स्कूल संस्थान फीस के अतिरिक्त अपनी मोटी कमाई किताबों और स्कूली गणवेश से मिलने वाले कमीशन से भी करते हैं जिसका कभी अंत नहीं होता। एक पक्ष कहता है कि शासन के निर्देश अनुसार किसी भी स्कूल टीचर का वेतन नहीं काटने के आदेश का पालन करने के लिए फीस उगाही आवश्यक है। प्राप्त शिक्षा शुल्क से ही शिक्षकों का वेतन दिया जा सकेगायह पक्ष इसलिए इतना मजबूत नहीं माना जा सकता है क्योंकि हर स्कूल का अपना एक रिजर्व फंड होता है जिसमें वह अधिक आय से प्राप्त धनराशि को इकट्ठा रखती हैI


मानव सेवा ही माधव सेवा है..


कोई भूखा ना रहे कोई भूखा ना सोए....


इंदौर । कोरोना वायरस संक्रमण को रोकने के लिए पूरे देश में लॉकडाउन है, कामकाज ठप पड़े हैं, उद्योग धंधे बंद है, आजीविका के साधन खो चुके है और आर्थिक संकट से जूझ रहे गरीब मजदूर, मजबूर, असहाय लोगों के सामने रोजी-रोटी का संकट खड़ा हो गया है ऐसे में ईश्वर रूपी कुछ हाथ खाद्यान्न व खाने के पैकेट लेकर भूखो व जरूरतमंदों के बीच पहंचे जहां भूख व परेशानियां हार गई और वही हाथ मानवता की मिसाल बन गए। शहर के पूर्वी क्षेत्र में रहने वाले रामकिशन जोशी जो कि पेशे से रेडीमेड कपड़ा व्यापारी है उन्होंने मानव सेवा-माधव सेवा के संकल्प के साथ ही कोई भूखा ना रहें कोई भूखा ना सोए सेवा कार्य शरू किया। जिसमे विधायक महेंद्र हार्डिया जी व पार्षद मंजू राकेश जी के मार्गदर्शन में पूरी टीम मुसाखेड़ी क्षेत्र के अंतर्गत आने वाली बस्तिया जिसमे शांति नगर, इदरीस नगर, हरिओम पन्ना नगर, इंदिरा नगर, मयूर नगर, भील कॉलोनी आदि क्षेत्रों में लॉकडाउन के दूसरे दीन से ही सक्रियता के साथ तैयार भोजन के पैकेट वितरण के साथ ही कच्चा राशन जिसमे 5 किलो आटा, 2 किलो चावल, 1 किलो दाल, 1 किलो शक्कर, नमक, मसाले - पैकेट तैयार कर लगातार उनकी टीम के द्वारा बांटे जा रहे हैं जोशी जी की टीम में प्रमुख रूप से अरविंद कुमावत जी, कपिल जी, किशोर सांगले जी, दिनेश पांचाल जी, जय गणावा जी सभी लोग मानव सेवा माधव सेवा कार्य में जी जान से लगे हैं।


मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के पिता का दिल्ली निधन 


लखनऊ। उत्तरप्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के पिता आनंद सिंह बिष्ट (89) की सोमवार सुबह 10:44 बजे को दिल्ली के अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान (एम्स) में निधन हो गया। आनंद सिंह लंबे समय बीमार चल रहे थे। लीवर और किडनी में समस्या बढ़ने के कारण 13 मार्च को उन्हें एम्स में भर्ती कराया गया था। लेकिन, मल्टीपल ऑर्गन फेल होने के कारण रविवार देर रात उनकी हालत ज्यादा बिगड़ गई थी। अब शव को उनके पैतृक गांव पंचूर (उत्तराखंड) लाया जा रहा है। रविवार को डायलिसिस हई थी - सीएम योगी के पिता आनंद सिंह को एम्स के एबी 8 वार्ड में भर्ती किया गया था। गेस्ट्ररो विभाग के डॉक्टर विनीत आहूजा की टीम उनका इलाज कर रही थी। उन्हें वेंटीलेटर पर रखा गया था। रविवार को उनका डायलिसिस भी कराया गया था।


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भीषण मंदी की ओर विश्व की अर्थव्यवस्था


 वह स्पष्ट है। सबसे बड़ा प्रभाव राज्यों की वित्तीय बैलेंस शीट पर पड़ेगा। कर संग्रहण का कार्य केंद्र सरकार करती है। पिछले सात तीन तिमाहियों से अर्थव्यवस्था की रफ्तार सुस्त रही है, और देश का जीडीपी बुरी तरह से प्रभावित हुआ है। जिसने राज्यों की हालत बहत खराब कर दी है। कर संग्रहण की ताकत केंद्र को देने के बाद राज्यों के पास जीएसटी का हिस्सा नहीं पहंचा है। जिसके कारण राज्य के पूंजीगत खर्चे प्रभावित हो रहे हैंराज्यों के लिए अधिकतर कर प्राप्ति के स्त्रोत ठप्प होते जा रहे हैं। उदाहरण के लिए मनोरंजन कर, आबकारी कर, ट्रांसपोर्टेशन से प्राप्त आय, पेट्रोल से प्राप्त आय गिरते जा रहे हैं। इसके साथ ही बहुत से ऐसे कर हैं जो सीधे तौर पर राज्यों को आर्थिक तौर पर सशक्त नहीं बना पा रहे। 2020 के आंकड़ों को देखें तो राज्यों की कुल आय 31 लाख 54 हजार करोड रही है, जिसमें कर 22 लाख 60 हजार करोड है। दश का जाएसटा कलक्शन अप्रैल 2019 में 1,13,865 करोड था, जो मार्च 2020 में आकर 97.597 करोड़ रह गया है। विशेषज्ञों के अनुसार अप्रैल का जीएसटा टक्स कलेक्शन का अनमान और भी कम होने वाला है। इसके साथ ही राज्य सरकार जीएसटी के बाकी 60 हजार करोड रुपए का इंतजार कर रही हैं। केंद्र के पास दूसरे रास्ते होने से वह अपने आप को बचा लेंगे। जैसे पर्सनल इनकम टैक्स, इंपोर्ट ड्यूटी, कॉरपोरेट इनकम टैक्स सब केंद्र के खाते में जाते हैं। जिससे वह अपनी आर्थिक स्थिति को कमजोर होने से बचा सकता है। इसलिए हर राज्य जीएसटी का अपना हिस्सा पाने के लिए केंद्र की ओर देख रहा है। ताकि इस महामारी के दौर में वह अपनी वित्तीय स्थिति को संभाल सकें।


दूसरा सबसे महत्वपूर्ण पहलु लघु एवं मध्यम उद्योग का हैजो देश की 50 प्रतिशत जीडीपी को और 90 प्रतिशत रोजगार को पैदा करते हैंजिसमें रोजगार 65 प्रतिशत कृषि और 35 प्रतिशत अनौपचारिक उद्योगों से आता है। यह लघु उद्योग विमुद्रीकरण और जीएसटी के लागू होने के कारण पहले ही संघर्ष करते आ रहे थे। उसके ऊपर कोरोना महामारी ने इन्हें गहरे संकट में डाल दिया है। इन छोटे मझोले उद्योगों के सामने सबसे बड़ी समस्या नगदी को लेकर है। मांग नहीं होने के कारण इनके उत्पादन पर तो प्रभाव पड़ ही रहा है,साथ ही वित्तीय स्थिति कमजोर होने से आने वाले दिनों में बैंकों की ईएमआई चुकाने की भी दिक्कतें आ सकती हैं। हर महीने कर्मचारियों को वेतन देने का दायित्व लघु उद्योगों को परेशान कर रहा हैभारत की मध्यम एवं लघु कंपनियों को अगर आर्थिक सहायता जल्द ही ना मिली तो वह पुनः खड़ी नहीं हो पाएंगे क्योंकि लंबे लॉक डाउन के बाद किसी भी छोटी कंपनी को वापस अपने उत्पादन को पहले जैसा बनाने के लिए कहीं अधिक वित्तीय सहायता एव माग का जरूरत हाता हा नौकरियों के विनाश को रोकने के लिए छोटे लघु उद्योगों को बचाना सरकार के लिए सबसे बड़ी चुनौती है। जो अनापचारिक तार पर दश का 80 प्रतिशत नौकरियों को जन्म देती है। विशेषज्ञों का कहना है कि सबसे बड़ी चुनौती एमएसएमई से अप्रत्यक्ष रूप से या अस्थाई रूप से जुड़े लोगों के लिए है। दिहाड़ी मजदूरों को सबसे ज्यादा नुकसान उठाना पड़ रहा है। पूंजी के अभाव में छोटे उद्योग बंद होने की कगार पर है। देश में 6.9 करोड़एमएसएमई हैं यदि इनमें से 25 प्रतिशत एमएसएमई बंद हो जाती हैं, तो देश के करोड़ों लोग बेरोजगार हो जाएंगे। छोटेऔर लघु उद्योगों को बचाना देश के हित में हैजो बड़ी आर्थिक मदद के इंतजार में सरकार कि और देख रहे है I


   विश्व बैंक के आकड़ो पर नजर डालें तो भारत ने अपने जीडीपी का 0.85% आर्थिक सहायता के रूप में देने का ऐलान किया है। वहीं विश्व की सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था अमेरिका ने अपने कुल जीडीपी का 10.71%, जर्मनी ने 20.95%, फ्रांस ने 11.38%, स्पेन ने 15.29%, इसराइल ने 5.94% , ब्राजील ने 2.10%, कनाडा ने 2.16%, जापान ने 10%, रूस ने 0.30% ऑस्ट्रेलिया ने 8.02%, चीन ने 1.32% और इटली ने 1.30% आर्थिक सहायता राहत देने का ऐलान किया है। मांग नहीं होगी तो उत्पादन भी नहीं होगा, उत्पादन नहीं होने के कारण कर्मचारियों को नौकरियों से हटाया जाएगारोजगार नहीं होने से लोगों के पास पैसा नहीं होगायह पूरा एक चक्र है जो अर्थव्यवस्था को चलाता है। जिसे पूरी तरह ध्वस्त होने से रोकने की जिम्मेदारी सरकार की है. जो विभिन्न मौद्रिक नीतियों के सहारे डगमगाती अर्थव्यवस्था को संभालने की कोशिश में हैंनोटबंदी के बाद वैसे भी अनौपचारिक क्षेत्रों की हालत बहत पतली हो गई थी। देश की अर्थव्यवस्था का अधिकतर भाग अनौपचारिक हैदेश में रोजगार का यदि मूल स्थिति जाने तो, केवल 22 प्रतिशत कर्मचारी ही नियमित अनबंध के आधार पर हर महीने वेतन प्राप्त करते हैं। यानी 78 प्रतिशत कर्मचारी बिना अनुबंध के नौकरी कर रहे हैं, जिन्हें कभी भी निकाला जा सकता है i


कोरोना वायरस ने देश को कितना नुकसान पहुंचाया है, इसका सही अंदाजा इसके खत्म होने के बाद ही मिलेगा। भारत विश्व की छठवीं सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था होकर भी आज एक विकासशील देश है। - जिसकी अपनी अलग जरूरतें हैं। भारत का अनुमानित से देश की कुल आय एवं व्यय के अंतर को राजकोषीय घाटा कहते हैं) वर्ष 2020 में जीडीपी का 3.5 प्रतिशत रहा है। इसके साथ ही राजस्व घाटा जीडीपी भी देश की जीडीपी से तात्पर्य उस देश की सीमा के अंदर एक वर्ष में हए कल उत्पादन के मौद्रिक मूल्य से है। सरकार ने इस साल बजट का आकार 30लाख 42 हजार करोड़ रुपए रखा था। जो कि एक शानदार बजट था। कोरोना महामारी के कारण असंतुलित अर्थव्यवस्था को पटरी पर लाने के लिए सरकार को तरंत नए बजट के साथ आना चाहिए। इसके साथ ही राज्य और केंद्र सरकार को यह भरोसा देना होगा कि अब गरीब और अवैतनिक बेरोजगारों को उनके दैनिक जीवन को जीने में समस्या का सामना ना करना पड़े। देश के पास 470 अरब डॉलर की विदेशी मदा भंडार हैआरबीआई की मौद्रिक नीतियों से भी भारतीय खज़ाने में पैसा आया है। 585 से अधिक मेट्रिक टन अनाज भंडार गोदामों पर रखा हआ हैएफसीआई के गोदामों में चावल और गेहं जरूरत से दुगनी स्थिति में मौजूद है। दूसरी छोर से कच्चे तेल के गिरते दाम सरकारी खजाने को भरने का काम करेंगे। रबी की फसल को ध्यान में रखते हए सरकार ने किसानों के लिए नेशनल एग्रीकल्चर मार्केट पोर्टल की स्थापना की है। ताकि किसानों को मंडी में खड़ा ना होना पड़े और उनका अनाज भी आसानी सेनिक जाएकोरोना वायरस कब और कैसे खत्म होगा और यह कितनी जाने लेगा इसका जवाब किसी के पास नहीं है। अंतर्राष्ट्रीय मुद्रा कोष ने कहा है कि टनिया भर के देशों की अर्थव्यवस्थाओं को इतना ज्यादा नुकसान हो रहा है कि इस साल वैश्विक अर्थव्यवस्था में तीन फीसदी की गिरावट आएगी।आईएमएफ का कहना है कि कोरोना वायरस की महामारी ने दुनिया को ऐतिहासिक संकट' में डाल दिया है। अर्थशास्त्री गीता गोपीनाथन कह चुकी हैं की कोरोना संकट अगले दो साल में विश्व की जीडीपी (सकल घरेल उत्पाद) का ना खरब डॉलर बर्बाद कर देगा। सच्चाई कड़वी है लेकिन विश्व का इससे गुजरना होगा। 1930 का आर्थिक महामंदी के बाद ऐसा पहली बार हो सकता है कि विकासशील देश ही मंदी के चक्र में फंस जाएं।