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अपने नाम को सार्थक करती एक संस्था
इंदौर। संस्था सामाजिक सरोकार इंदौर इन दिनों अपने नाम के अनुरूप ही उसके कार्योको भी अंजाम दे रही है। आज पूरे विश्व के साथ ही हमारा देश और हमारा शहर इंदौर कोरोना वायरस जैसी एक भयानक आपदा से जूझ रहा है। ऐसे में सरकार, प्रशासन और राजनीतिक व सामाजिक सगठन अपन स्तर पर देशव्यापी लॉक डाउन के दौरान जहां गरीबो को अपनी सेवाएं प्रदान कर रहे इन्ही में से एक संस्था इंदौर में इस संकट की घड़ी में अपने नाम को सार्थक करती हुई मानवता की सेवा में लगी है। माता अन्नपूर्णा के क्षेत्र में अन्नपूर्णा सदा पूणा का आशीवाद- ____ माँ अन्नपूर्णा के क्षेत्र में सर्यदेव नंगर स्थित पांचाल धर्मशाला संस्था की गतिविधि का केंद्र बना हआ हैयहां 1 अप्रैल से लॉक डाउन के दौरान भोजन बनाकर गरीब बस्तियों में वितरित किया जा रहा हैरोजाना यहां 60 महिलाए 30-30 के ग्रुप में सुबह शाम भोजन निर्माण में अपनी सेवाएं दे रही हैं। माता अन्नपूर्णा की कृपा के रूप में इसमें एक सब्जी, 6 रोटी, अचार, दाल चावल व्यवस्थित पैकेट में पैक कर वितरित किया जाता है। लॉक डाउन में जो भी सरकारी व चिकित्सकीय मापदंड के साथ ही सफाई का पूरा पालन संस्था के सदस्य कर रहे हैं। हर क्षेत्र में जवाबदार की तैनाती संस्था द्वारा जिन क्षेत्रों में भोजन सामग्री का वितरण किया जाता है उस क्षेत्र में संस्था के एक सदस्य होता है जो जरूरतमंदों को वितरित करता है। इनके अलावा सराफा, गांधी नगर, व अन्य क्षेत्रों में भोजन सामग्री वितरण में पुलिस का सराहनीय सहयोग मिल रहा है। यह भी एक विरला ही उदाहरण है16 वर्षो से संस्था सामाजिक सरोकार से जुड़े कार्य कर रही है लेकिन अभी तक इस संस्था का पंजीयन नही करवाया गया। इस संबंध में संस्था की राष्ट्रीय संयोजक श्रीमती सरस्वती पेंढारकर से इस प्रतिनिधि ने कि हमारा मख्य कार्य समाज की सेवा करना। पंजीयन करवाने में निर्धारित टारगेट परे करने होते हैं। टारगेट परा करने के चक्कर में सेवा प्रभावित होती है। संस्था को मिल रहा है अद्भत नैतिक सहयोग " जाहिर है एक संस्था को चलाना किसी की बात नहीं। पति केंटित विकास व भारतीय संस्कृति के विकास के उद्देश्य से गठित इस संस्था के राष्ट्रीय संरक्षक अध्यात्म से जडे व विचारक माननीय के. एन. गोविंदाआचार्य हैं । देश भर में अनेक स्थानों पर संस्था से जर अनेक सेवा भावी अपनी सेवाएं तन, मन, ' धन से प्रदान कर रहे हैं। संस्था की राष्ट्रीय " संयोजक श्रीमती सरस्वती पेंढारकर व संस्था अध्यक्ष व उद्योगपति श्री हरि ही अग्रवाल ने बताया कि वर्तमान संकट की घड़ी में संस्था के कार्यो में सहयोग प्रदान करने के लिए समाजसेवी सर्वश्री टीकमचंद गर्ग, विष्णु बिंदल, शिवम परमार के साथ ही समाजसेविका श्रीमती प्रीति शर्मा व पुष्पा यादव हर प्रकार से सहयोगी बने हुए है। इनके अलावा अतिरिक्त पुलिस अधीक्षक श्रीमती मनीषा पाठक सोनी, इंदौर सराफा थाना प्रभारी श्रीमती अमृता सोलंकी, सी एस पी गाधानगर इदार श्रीमता साम्या जन भा अपनी विभागीय सेवाओ के साथ अपना सराहनीय नैतिक सहयोग भी कर रही हैंय ये सभी अपने क्षेत्र में जरूरतमंद गरीबो को संस्था द्वारा प्रदत्त भोजन पैकेटों का व्यवस्थित वितरण करने में सहयोगी बने हुए है। खासकर सराफा जहाँ इंदौरी स्वाद के लिए जाते थे वहां इन दिनों संस्था द्वारा बनाये भोजन का वितरण करवा रहे हैं। यहां प्रतिदिन 500 पैकेट भोजन के वितरित करने के लिए संस्था 1 अप्रैल से उपलब्ध करवा रही है। इसके पूर्व 23 ने 21 मार्च तक संस्था के कार्यकर्ता घरों से 6 रोटी लेकर स्वयं की तरफ से वितरित करती रही है। साथ में सब्जी के साथ जरूरतमंदों को इसके अलावा इंदौर के पश्चिमी क्षेत्र की - सूर्यदेव नंगर, सत्यदेव नगर, अन्नपूर्णा नंगर, राजेन्द्र नगर, द्वारिकापुरी, चंदन नंगर, गांधी नगर , बारा भाई छत्रीपुरा, पंढरीनाथ आदि क्षेत्रों के जरूरतमंदों को दो हजार भोजन पैकेट का वितरण किया जा रहा है। इतना ही नही भोजन के अलावा सूखे खाद्य पदार्थो की जहां आवश्यकता होती है वह भी निःशुल्क उपल उपलब्ध कराया जा रहा है I
कविता - प्रकृति की ओर लौट जा
ना मैं नाराज हं तुझसे, ना किए दरवाजे बंद मैंने ना देख संकीर्ण दृष्टि से, मौजूद हं हर तरफ तेरे साकार हूं, निराकार भी हं मैं; हर आलय शोभित किया मैंने अनादि हूं, अनंत भी हं मैं, देवालय तक सीमित किया तूने हर पल का दृष्टा हूं मैं, हर युग को देखा मैंने हर कृत्य का साक्षी हं मैं, अंदर अपने नहीं झांका तूने पेड़- पौधों और जीव जंतुओं में, जीवन को जीवंत किया मैंने वन-उपवन और जीवों का नाश करके, जीवन को संकट में डाला तूने नदियां, तालाब और सागर, पीने लायक जल स्रोत दिए थे मैंने प्रदूषित किए जल भण्डार, आचमन लायक नहीं छोड़े तूने वायु बिना असंभव जीवन, निर्मल पर्यावरण दिया था मैंने उत्सर्जित किया अत्याधिक कार्बन, पर्यावरण मलीन किया तूने पर्वतों को जटा सा बांधकर, पृथ्वी का पानी चक्र बनाया मैंने तेजी से पिघल रहे हैं ग्लेशियर, पृथ्वी का तापमान बढ़ाया तूने जठराग्नि को शांत करने, अग्नि का उपयोग सिखाया था मैंने अणुशक्ति का निर्माण करके, प्रगति का दुरुपयोग किया तने जन, जंगल, जंतु को संतुलित कर, धरती को स्वर्ग बनाया था मैंने अत्याधिक जनसंख्या वृद्धि कर, धरती को नर्क बनाया तूने पालन किए नियम प्रकृति के, पेड़ से टूटा पत्ता नहीं जोड़ा मैंने बेमौसम जहरीली खेती करके, प्रकृति के नियमों को तोड़ा तूने कंद-मूल-फल खाकर, चौदह वर्ष वनवास किया था मैंने अप्राकृतिक भोजन कर, विकृत विचारों से बर्बाद किया जीवन तूने अब भी वक्त है समझ जा, समझने के लिए बुद्धि दी है मैंने प्रकृति की ओर लौट जा, प्रकृति की शक्ति को चुनौती दी है तूने ना मैं नाराज हूं तुझसे... मनीष वर्मा
गर्भवती को अस्पताल नहीं मिला तो डेंटिस्ट ने कराई डिलीवरी
इंदौर। कोरोनावायरस के खौफ और लॉकडाउन ने लोगों की जिंदगी बदल दी हैआम लोगों की परेशानियों से जुड़ी कई कहानियां सामने आ रही हैंयहां ऐसे ही तीन मामलेपहला- गर्भवती महिला को कोई अस्पताल खुला नहीं मिला तो उसे डेंटल क्लीनिक में डिलीवरी करानी पड़ी। दूसराएक डॉक्टर कोरोना के लक्षण मिलने पर पति को 4 अस्पतालों में ले गईंकिसी ने भर्ती नहीं किया। उन्होंने पति का इलाज घर पर ही किया। तीसरा- उत्तर प्रदेश में एक युवक ने अपनी शादी के लिए 850 किलोमीटर का सफर साइकिल से पूरा किया। लेकिन घर पहंचने से पहले ही उसे पुलिस ने पकड़ लिया। अब वो क्वारैटाइन सेंटर में है I
पहली कहानी : 7 किलोमीटर चली गर्भवती, फिर डेंटल क्लीनिक में डिलीवरी
इन दिनों ज्यादातर प्राइवेट अस्पताल और क्लीनिक बंद हैंऐसे में बेंगलुरु में की एक गर्भवती महिला पति के साथ सात किलोमीटर पैदल चली, लेकिन डिलीवरी के डॉ. रमया बेंगलुरु में डेंटिस्ट हैं। इन्होंने अपने क्लीनिक में गर्भवती की डिलीवरी कराई। लिए अस्पताल नहीं मिला। प्रसव पीड़ा बढ़ी था। उस वक्त थोड़ी टेंशन बढ़ गई थी। लगा तो दंपती एक डेंटल क्लीनिक में ही चले गए। कि बच्चा पेट में ही मर गया है। कोशिश करने यहां डेंटिस्ट डॉ. रमया ने बच्चे डिलीवरी के बाद उसमें हरकत शुरू हई। फिर अच्छे से कराई। डॉ. रमया बताती हैं- शुरूआत में गर्भ डिलीवरी हो गई। मां और बच्चा दोनों स्वस्थ्य में मौजूद बच्चे का कोई रिस्पांस नहीं आ रहा हैं। दोनों को अस्पताल भेज दिया गया है।