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सम्पादकीय -
हर पिता अभिभावक चाहता है उसका बच्चा उससे कई गुना आगे बढ़े और खूब तरक्की करें। समाज में अपना और अपने परिवार का नाम रोशन करें परिवार का मुखिया अपने बच्चे को शिक्षा देने के लिए एक अच्छे स्कूल का चुनाव करता है जहां से प्रथम दृष्टया शिक्षा की शुरुआत होती है। शासकीय स्कूलों की हालत किसी से छुपी नहीं है, इसलिए मेहनत मजदूरी से थकी हुई आंखें अपने जिगर के टुकड़े के साथ शिक्षा को लेकर समझौता नहीं कर सकती इस आशा और विश्वास के साथ कि वहां उसके उज्जवल भविष्य का निर्माण हो रहा है वहीं निजी स्कूल शिक्षा के उद्देश्य को पहचानने के बजाय अपनी नजर मुनाफे पर ज्यादा रखते हैं कहीं ना कहीं प्राइवेट स्कूलों को राजनीतिक आकाओं का संरक्षण प्राप्त होता है हर गली कूचे में आपको प्राइवेट स्कूल देखने को मिल जाएंगे। आवेदन करने पर स्कूल चलाने का लाइसेंस प्रसाद के रूप में दे दिया जाता है स्कूल का संचालन किस स्थान पर होना है एक स्कूल दूसरे स्कूल से कितनी दूरी पर है, स्कूल में कमरों की व्यवस्था कैसी है। खेल का मैदान या फिर समुचित व्यवस्था की ओर कोई ध्यान नहीं दिया जाता ना ही देखा जाता है। शिक्षा माफियाओं के द्वारा शिक्षा का बाजारीकरण हो रहा है यदि आप धन बल से मजबूत हैं तो ही अपने बच्चे को सर्वश्रेष्ठ शिक्षा संस्थान में प्रवेश दिला पाएंगे। ऊंची और दिखावे की बिल्डिंगों में दी जाने वाली शिक्षा महंगी होकर भी कमजोर होती है सरकारी स्कूलों की दुर्दशा का फायदा प्राइवेट स्कूल वाले खूब उठा रहे हैं निजी स्कूल संचालकों के द्वारा मनमानी फीस वसूली जाती है साथ ही इंस्टॉलमेंट में देरी होने पर पेनल्टी की वसूली भी की जाती है संपूर्ण देश में सरकार के द्वारा चलाए जाने वाले पाठ्यक्रम, नियम कानून सभी राज्यों में भिन्न-भिन्न है सरकार चाहे तो संपूर्ण देश में या राज्यों में सभी निजी स्कूलों व शासकीय स्कूलों में एक जैसा पाठयक्रम निर्धारित शुल्क में प्रदान किया जाए तो काफी हद तक जहां अमीरी गरीबी का भेदभाव खत्म होने के साथ विद्यार्थियों का भविष्य उज्जवल व एक अच्छे देश व समाज का निर्माण होगा।
स्कूल बैग का ज्यादा बोझ उठाने वाले बच्चे शारीरिक और मानसिक तौर पर ज्यादा तंदुरुस्त व सक्रिय होते हैं
स्कूल बस्ते का ज्यादा बोझ उठाने वाले बच्चे शारीरिक और मानसिक तौर पर ज्यादा तंदुरुस्त होते हैं। अमेरिकन जर्नल ऑफ हेल्थ एजुकेशन में प्रकाशित एक रिपोर्ट में दावा किया गया है कि जो बच्चे भारी बैग उठाते हैं, उनकी पेट और पीठ की मांसपेशियां ज्यादा मजबूत होती हैं। इसके कारण वे ज्यादा सक्रिय और सेहतमंद होते हैं। ह्यूस्टन स्थित राइस यूनिवर्सिटी द्वारा 12 से 17 साल के 6000 बच्चों की सेहत पर किए गए अध्ययन के मुताबिक भारी बस्ता उठाने वाले बच्चों का विकास अन्य बच्चों के मुकाबले बेहतर होता है। रीढ़ विशेषज्ञों की अमेरिकन शिरोप्रैक्टिस एसोसिएशन का कहना है कि बच्चों के स्कूल बैग का भार उनके वजन के हिसाब से 5 से 10 फीसदी ही होना चाहिए। __ अध्ययन में पब्लिक स्कूल के छात्रों ने कर्लअप मैट्रिक का प्रदर्शन किया, जो पेट की ताकत और उसकी क्षमता को मापता है। अध्ययनकर्ताओं ने 132 स्टूडेंट्स के दो अलग-अलग ग्रुप बनाए। एक ग्रुप ने अपने वजन के मुताबिक निर्धारित मापदंड यानी 10 फीसदी तक वजन उठाया, जबकि दूसरे ग्रुप ने 25 फीसदी तक। यह प्रक्रिया करीब दो महीने तक चली। ज्यादा वजन उठाने वाले स्टूडेंट्स कम वजन उठाने वाले स्टूडेंट्स की तुलना में ज्यादा तंदुरुस्त निकले___ आंतरिक परीक्षा के परिणाम में भी इस ग्रुप ने बेहतर प्रदर्शन किया और उन्होंने सेहत को लेकर कोई शिकायत भी दर्ज नहीं कराईजबकि कम वजन उठाने वाले स्टूडेंट्स के ग्रुप में ज्यादातर छात्रों ने मांसपेशियों में खिंचाव की शिकायत दर्ज कराईमुख्य अध्ययनकर्ता लॉरा काबिरी ने कहा-हम इस अध्ययन के जरिए बच्चों के बस्ते का बोझ बढ़ाने की सिफारिश नहीं कर रहे, बल्कि यह बताना चाहते हैं कि ज्यादा बोझ भी बच्चों को तंदुरुस्त रख सकता है। इससे कोई नुकसान नहीं होता। भारत में भी सभी स्कूलों में अंतरराष्ट्रीय मापदंड लागू हैं। मानव संसाधन विकास मंत्रालय ने स्कूल बैग का बोझ हल्का करने की गाइडलाइन सभी राज्यों को भेजी हैहालांकि, इसके अमल पर फैसला राज्यों पर छोड़ दिया गया है। मद्रास हाईकोर्ट ने पिछले साल सीबीएसई-एनसीईआरटी को स्कूली बैग का बोझ कम करने का आदेश दिया था।
आधार कार्ड से लिंक न होने पर पैन कार्ड काम करना बंद कर देंगे
नई दिल्ली। 31 मार्च तक आधार कार्ड से लिंक न होने पर 17 करोड़ से अधिक पैन कार्ड काम करना बंद कर देंगे। इनकम टैक्स डिपार्टमेंट ने दी जानकारी में कहा है कि 31 मार्च तक पैन कार्ड को आधार कार्ड से लिक न कराने पर वे काम करना बंद कर देंगे। पैन कार्ड को आधार कार्ड से लिंक करने की डेडलाइन का कई बार बढ़ाया जा चुका है और इस बार आखिरी तारीख 31 मार्च तय की गई है। सितंबर 2018 में सुप्रीम कोर्ट ने आधार कार्ड को संवैधानिक रूप से सही ठहराया था हाल के आंकड़ों के अनुसार 30.75 करोड पैन कार्ड को आधार कार्ड से लिंक कराया जा 7.58 करोड़ पैन कार्ड को अभी भी आधार कार्ड से लिंक कराना बाकी है। सितंबर 2018 में सुप्रीम कोर्ट ने आधार कार्ड को संवैधानिक रूप से सही ठहराया था और कहा था कि इनकम टैक्स रिटर्न फाइलिंग और पैन कार्ड अलॉटमेंट में आधार कार्ड जरूरी रहेगा।
हर भारतीय कारोबारी के अंदर धीरूभाई अंबानी या बिल गेटस बनने की क्षमता: मुकेश अंबानी
मुंबई। रिलायंस इंडस्ट्रीज के चेयरमैन मुकेश अंबानी का कहना है कि हर भारतीय कारोबारी के अंदर धीरूभाई अंबानी या बिल गेटस बनने की ताकत है। देश में जमीनी स्तर पर बहत ज्यादा मार्च कारोबारी क्षमताएं हैं। इस बारे में मुझे कोई शक नहीं कि हम अर्थव्यवस्था में दुनिया के टॉप-3 देशों में शामिल होंगे। चर्चा का विषय सिर्फ इतना है कि हम यह लक्ष्य 5 साल में हासिल कर लेंगे या फिर इसमें 10 साल लगेंगे। पिछले दो दशक में देश की जीडीपी 300 अरब डॉलर से बढ़कर 3 ट्रिलियन डॉलर के करीब पहुच चुका है। अबाना न मुबइ म माइक्रोसॉफ्ट के फ्यूचर डिकोडेड सीईओ कॉन्क्लेव में सत्या नडेला से यह चर्चा की। भारत दुनिया की प्रमुख डिजिटल सोसायटी बनने के करीबः अंबानी अंबानी ने कहा कि मोबाइल नेटवर्क्स पहले से ज्यादा तेजी से काम कर रहे हैं। इनकी क्षमता बढ़ने से देश में बदलाव आ रहा है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने 2014 में हमें डिजिटल इंडिया का विजन दिया था। तब से अब तक 38 करोड़ लोग जियो की 4जी तकनीक अपना चुके हैंजियो से पहले डेटा स्पीट 256 केबीपीएस (किलोबाइट्स प्रति सैकेंड) थी जो अब 21 एमबीपीएस (मेगाबाइट्स प्रति सैकेंड) हो चुकी है। भारत दुनिया की प्रमुख डिजिटल सोसायटी बनने के करीब है'अमेरिकी राष्ट्रपति ट्रम्प एक नया भारत देखेंगे' अंबानी ने नडेला से कहा कि आने वाली पीढी एक नया भारत देखेगी। साथ ही कहा कि भारत दौरे पर आए अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प अब जो भारत देखेंगे वह उससे अलग होगा जो अमेरिकी के पूर्व राष्ट्रपति जिम कार्टर, बिल क्लिंटन और बराक ओबामा ने देखा था I
दुनिया के मुकाबले देश का एजुकेशन सिस्टम 35वें स्थान पर
वर्ल्ड वाइड एजुकेशन फॉर फ्यूचर इंडेक्स 2019 की रैकिंग में भारत 40वें पायदान से खिसकर 35वें स्थान पर पहुंच गया है। दुनिया के मुकाबले देश का एजुकेशन सिस्टम कितना बेहतर है, इसके आधार पर हर साल यह रैंकिंग जारी की जाती है। पिछले साल की रिपोर्ट में भारत 40वें स्थान पर था। रैंकिंग तैयार करते समय स्किल से जुड़े पैरामीटर को ध्यान रखा जाता है। इसमें क्रिएटिविटी, आंत्रप्रेन्योरशिप, लीडरशिप, समस्या का समाधान करने की स्किल और क्रिटिकल थिंकिंग जैसे पैरामीटर शामिल हैं। स्कोर में 12 फीसदी की बढ़ोतरी - पिछले साल के मुकाबले भारत के एजुकेशन सिस्टम को 53 स्कोर मिला है, जबकि 2018 की रिपोर्ट में यह आंकड़ा 41.2 था। यह स्कोर तीन कैटेगरी के आधार पर दिया जाता है, पॉलिसी एन्वायर्नमेंट, टीचिंग एन्वायर्नमेंट और सोशियो-इकोनॉमिक एन्वायर्नमेंट। रिपोर्ट के मुताबिक, 2019 की इंडेक्स में अमेरिका, लंदन, फ्रांस और रशिया नीचे खिसके हैं। वहीं, चीन, भारत और इंडोनेशिया ने बढोतरी हासिल की है। कम्युनिकेशन और आंत्रप्रेन्योरशिप स्किल सधरी - रिपोर्ट के मताबिक, देश में 2019 में क्रिटिकल थिंकिंग, कम्युनिकेशन और आंत्रप्रेन्योरशिप में सुधार हआ है। हालिया बजट में एजुकेशन क्षेत्र के लिए 99,300 करोड़ और स्किल डेवलपमेंट के लिए 3 हजार करोड़ रुपए की मंजूरी दी गई है। इसके अलावा ऑनलाइन एजुकेशन प्रोग्राम और अपेंटिसशिप को भी बढ़ावा देने की बात कही गई है। फिनलैंड पहले और जापान दसवें स्थान पर - रिपोर्ट के मुताबिक, फिनलैंड पहले और जापान दसवें स्थान पर है। खास बात है कि टॉप 10 देशों की लिस्ट में अमेरिका, फ्रांस और लंदन जगह नहीं बना सका है। टॉप 10 में ज्यादातर देश हैं जो छोटे हैं और मजबूत अर्थव्यवस्था के लिए जाने जाते हैं।