इंदौर की राष्ट्रीय स्पर्धा में शिक्षा माफिया का खेल
शिक्षा इंदौर। (विशेष प्रतिनिधि) शिक्षा जैसी सेवा को धंधा बनाने वाले माफियाओं के दांवपेंचों के चलते इन दिनों शिक्षा विभाग दो अफसरों के बीच अखाड़ा बनकर रह गया है। जैसे ही संयुक्त शिक्षा संचालक मनीष वर्मा ने 191 में से अपात्र 163 स्कूलों की मान्यता निरस्त की, भैया लोगों ( माफिया ) ने उन्हें इंदौर से हटाने के लिए नित नए हथकंडे अपनाने शुरू कर दिए। जेडी को हटाने के लिए शिक्षा विभाग के ही कुछ अधिकारी भी शामिल हो गए। बहती गंगा में वह भी हाथ धो कर अपनी डूबती कमाई को बचाने की जुगाड़ में लग गए हैं। जाहिर है शिक्षा विभाग के कुछ अधिकारियों और माफियों के बीच लंबे समय से 'भाई चारा' की आड़ में 'भैया - चारा' चला आ रहा है I
इस विषय को लेकर संयुक्त संचालक मनीष वर्मा से बात की गई तो उन्होंने बात में बताया कि प्रतियोगिता का आयोजन नियम अनुसार कराया गया है कोई भी कार्य नियम विरुद्ध नहीं किया गया है।बिना किसी के दबाव में आए टेंडर जारी किए गए हैं और भौतिक सत्यापन की प्रक्रिया का पालन करते हुए बिल पास किए गए है इसलिए अनाप-शनाप बिल लगाने वालों की नहीं चली, जो टेंडर में दबाव बनाते हैं वही दो ढाई गुना बिल बढ़ा कर उसे पास कराने के लिए भी दबाव बनाते हैं ऐसे लोगों को ही हमेशा मुझसे शिकायत रहती है। जहां तक जांच प्रक्रिया की बात की जा रही है, जो भी जानकारी होगी अपने वरिष्ठ अधिकारियों को बताऊंगा I
- मनीष वर्मा, संयुक्त संचालक शिक्षा विभाग
163 अपात्र स्कूलों की मान्यता निरस्त कर दी
पूर्व जिला शिक्षा अधिकारी सीके शर्मा ने शिक्षा नायक से बातचीत में बताया कि हम तो साल भर का टेंडर पहले ही जारी कर देते हैं और 64 वीं राष्ट्रीय खेल प्रतियोगिता में ज्वाइन डायरेक्टर द्वारा जारी किए गए टेंडर पर मैंने कोई आपत्ति नहीं ली थी। मैंने केवल उन्हें जारी किए गए टेंडर की सूचना दी थी जो डीईओ कार्यालय से पहले ही जारी हुए। यह पूछे जाने पर कि जब प्रतियोगिता डिओ कार्यालय को मिली ही नहीं तो उसके संबंध में आपने टेंडर कैसे जारी कर दिया जवाब में वह तुरंत उन्हें एक आवश्यक कार्य याद आ गया। अब इसको क्या समझा जाए? शेष पृष्ठ 5 पर...